कोई भी व्यक्ति, कितना भी शक्तिशाली व सक्षम हो, जीवन का एक कोना ऐसा होता है जहाँ वह तमाम सामाजिक विविधताओं से दूर बैठा, किसी बच्चे सा किसी के अधीन हो कर जीना चाहता है, सर्वस्व होते हुए भी कुछ पाना चाहता है।
यही तो है भाग्य, कर्म व विधि का विधान, की हर एक के जीवन में थोड़ी सी कमी रह ही रह ही जाती है।
यही तो है भाग्य, कर्म व विधि का विधान, की हर एक के जीवन में थोड़ी सी कमी रह ही रह ही जाती है।